eng
competition

Text Practice Mode

साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Apr 25th, 05:05 by rajni shrivatri


1


Rating

320 words
112 completed
00:00
गुरू रामस्‍वरूप अपने शिष्‍यों के साथ आश्रम के लिए भिक्षाटन पर निकले थे। वह अपने गुरुकुल में भोजन की व्‍यवस्‍था भिक्षा मांग कर ही किया करते थे। जब वह एक कस्‍बे से दूसरे कस्‍बे की ओर जा रहे थे, रास्‍ते में खेत-बधार मिलने लगे। किसी खेत में हरी-भरी फसल खड़ी तो कोई खेत बंजर नजर रहा था। ऐसे ही एक बंजर खेत पर किसान कुछ बुवाई करने के लिए खेत को जोत रहा था। वहीं पेड़ के नीचे उसने अपना सारा सामान, पोटली आदि रखा हुआ था। गुरु रामस्‍वरूप के शिष्‍यों में एक शिष्‍य शरारती था, वह शरारती स्‍वभाव के कारण किसान की रखी हुई पोटली उठा लाया। गुरु रामस्‍वरूप को जब ज्ञात हुआ कि उसके शिष्‍य ने कुछ शरारत किया है। गुरू ने शिष्‍य को समझाया- पुत्र इस प्रकार तुम उस गरीब किसान की पोटली चुरा कर उसे कष्‍ट दे रहे हो! यह कार्य तुम्‍हें शोभा नहीं देता। तुम उस किसान को दुखी करके अपने ईश्‍वर को दु:खी करोगे। तुम्‍हें जो पैसे भिक्षा में मिले हैं उसे ले जाकर उसी स्‍थान पर पोटली सहित रख दो और फिर किसान का भाव देखो। शिष्‍य ने ऐसा ही किया वह पोटली और पोटली के नीचे भिक्षा में मिले हुए पैसे रख आता है। गरीब किसान काफी दिनों से परेशान था, उसके घर में उसकी माता की तबीयत खराब थी दवाई के लिए कुछ प्रबंध नहीं हो पा रहा था। जब किसान खेत का काम निपटा कर बैठा और उसने अपनी पोटली उठाकर देखी तो उसके नीचे कुछ पैसे थे, उसने इधर-उधर देखा किंतु कोई नजर नहीं आया। किसान पैसे लेकर बहुत खुश हुआ ऊपर दानों हाथ करते हुए ईश्‍वर को धन्‍यवाद करता रहा। संभवत उसके माता के लिए दवाई का प्रबंध हो गया था। वह खुशी से आंसू बहाता और दोनों हाथ से पोंछता जाता। कहानी से सीख- किसी भी व्‍यक्ति को दुखी करने के बजाए अगर खुश करने की कोशिश की जाए तो यह खुशियां दुगनी हो जाती है।

saving score / loading statistics ...