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created Jan 20th 2018, 07:41 by atul pathak
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लोग हमारी विदेशी नीति को कमतर आंक रहे है उनकाे समझना होगा कि सह हमारी विदेश नीति ही है जिसकी वजह से आज वैश्विक मंचों पर भारत की बात को तरजीह दी जाती है वर्ष 2017 में तो विश्व के पटल पर भारत की सशक्तर तरीके से उभरा है डोकलाम के मसले पर चीन के साथ हमने जो रूख रखा उसका लोहा तो समूचे विश्व् ने माना है । चीन की ओर से आक्रामक शैली की बयानबाजी के बावजुद सैन्यस शक्ति की ओर जिस तरह सक चीन का ध्या न आकृष्टी किया डोकलाम के मुद्दे पर भारत को बड़ी बात संबधं खराब नही हुए । वैश्विक आर्थिक मंचों पर भी भारत की बात को दूसरे देशों ने गौर से सुना है । चाहे ब्रिक्सह समिट हो या फिर आसियान हमारी बात को हर जगह तवज्जोे दी गई है । बड़ी बात तो वह है कि संयुक्तस राष्ट्रआ सुरक्षा परिषद में स्थाकयी सदस्यरता के लिए भी भारत ने अपनी दावेदारी मजबूती से रखी है । इस तरह के प्रयास पिछली सरकारों के चीन सागर के मसले पर भी चीन की दखलंदाजी पर हमने वह सबके सामने है । जापान हो नेपाल या फिर आस्ट्रेललिया सब देशो के साथ भारत के रिश्तेन मजबूत ही हुए है। रहा सवाल पाकिस्ताकन का। जिस तरह से अंतरराष्ट्रीेय परिदृश्यथ मे पाकिस्ताहन अलग-थलग होता जा रहा है उसमे भी भारत के प्रयास ही रंग लाए है। आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले पाकिस्तातन के मंसूबो को नाकामयाब करने की हमारी उपलब्धि की भी अपनी कहानी है। समूचे विश्वव ने देखा कि किस तरह से सर्जिकल स्ट्रा इक के जरिए आतंकियों को उनके घर में घुस कर मारा गया। भारत ऐसा कर सकता है यह पहले किसी कसे भरोसा नही होता था लेकिन इस सरकार ने वह कर दिखाया। पाक समर्थित आतंकी संगठनो के फंडिंग के रास्तेत रोक कर एक तरह से इनकी कमर तोड़ने का काम ही हुआ है। नोटबंदी का सरकार ने नतीजा रहा कि कश्मी र में पत्थ रबाजी की घटनाएं थम गई। हां, भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्ता न ने जरूर कायरतापूर्ण प्रदर्शन किया है। भारत सरकार ने उसके मंसूबों का खुलासा करते हुए विश्व समुदाय के सामने बेनकाब किया है। यह भारत की कूटनीति का ही नतीजा था कि पाकिस्ताएन के सैन्यु कोर्ट ने जिस भारतीय नागरिक जाधव को फांसी की सजा सुनाई उस पर अंतरराष्ट्रिय न्याशयालय ने रोक लगा दी। रहा सवाल पाक के साथ बातचीत का, भारत पहले ही कह चुका है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नही चल सकती। देर-सबेर पाकिस्ताफन को भी यह समझ में आ ही जाएगा।
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