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Hindi Typing Test _GAIL Remington/Mangal Font

created Jan 18th 2018, 12:43 by AbhishekVishwakarma8


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तीसरा विश्‍व युद्ध ये एक ऐसा शब्‍द है जो आए दिए हम सभी का आकर्षण अपनी ओर खींचता रहता है। और कई परमाणु समृद्ध देशों के बीच हो रही लगातार तना-तनी को देखते हुए काफी करीब भी माना जा रहा है। अभी हाल ही में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में इमारत के निर्माण के दौरान दूसरे विश्‍व युद्ध का एक बम बरामद किया गया जिसके बाद तत्‍काल प्रभात से वहां के नागरिकों को शहर खाली करने का आदेश दिया गया। हालाकि बम के नाकाम होने के बाद दोबारा लोग वापस गए। एक बात तो साफ है की अगर तीसरा विश्‍व युद्ध हुआ तो अमेरिका और रूस दोनों आमने सामने होंगे। दोनों ही न्‍यूक्लियर हथियार से लैस दुनिया की सबसे बडी ताकतें हैं। इससे एक बात तो तय है की युद्ध की स्थिति में न्‍यक्लियर हमला ही निर्णायक फैसला देगा। हालांकि रूस की जनसंख्‍या अमरीका से कम है लेकिन ये जनसंख्‍या पूरे देश में फैली हुई है और यही वजह है की 2 न्‍यक्लियर हमलों के बाद भी रूस पर कुछ खास असर नहीं पडेगा। वही भारत-प‍ाकिस्‍तान की बात करें तो ये कहना मुश्किल हैं की पडोसी देश होने के बावजूद पाकिस्‍तान ऐसे मौके पर भारत का साथ देना चाहेगा या उसके खिलाफ खडा होगा। हालांकि ऐसे में कुछ भी कहना मुश्किल है। वही उत्‍तर कोरिया की बात करे तो हालिया खबर के अनुसार उत्‍तर कोरिया ने जापान पर बैलिस्टिक मिसाइल दागी है। ये मिसाइल जापान के ऊपर से हो कर गुजरी और प्रशांत महासागर में समा गई। हालांकि जानकारी के मुताबिक इस मिसाइल से किसी तरह के कोई नुकसान की खबर नहीं मिली है। जापान ने उत्‍तर कोरिया की इस हरकत को उकसाने वाला कदम बताया और कहा की उत्‍तर कोरिया को सबक सिखाने का वक्‍त गया है। अब ऐसी खबरों को तो देख कर तीसरे विश्‍व युद्ध की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। पहले और दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद हुए नुकसान और आर्थिक तंग से उभरे में कई देशों को कई साल का वक्‍त लग गया, वही पर्यावरण को भी अससे काफी नुकसान हुआ जिसकी भरपाई आज भी हम नहीं कर पाए हैं। हालांकि तत्‍कालीन दौर में कोई भी देश खुले तौर पर विश्‍व युद्ध का समर्थन करता नजर नहीं रहा, लेकिन कई शक्तिशाली देशों के बीच हो रहे मन-मुटाव इसके ना होने की संभावनाओं पर विराम भी नहीं लगाते दिख रहे हैं और लगातार अपने सेना शक्ति और न्‍यूक्लियर पॉवर को बढाने में लगे हुए हैं। लेकिन इन सब के बीच एक बात तो तय है, कि अगर दूसरा विश्‍व युद्ध हुआ तो इससे हुई तबाही का आकलन करना नामुमकिन होगा और शायद ये आखिरी विश्‍व युद्ध होगा क्‍योंकि इस तबाही के बाद शायद ही दुनिया में बच पाएगा।  

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